अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस कर भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। ये टैरिफ क्या होता है? इसे क्यों लगाया जाता है। इसके लगने से क्या कुछ बदलने वाला है। इसका हमारे आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा? आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे।
टैरिफ क्या है?
टैरिफ एक प्रकार का टैक्स सिस्टम है जो सभी देशों की सरकारें इंपोर्ट और एक्सपोर्ट होने वाले वस्तुओं पर लगाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य देशी उद्योग को बढ़ावा देना, रेवेन्यू बढ़ाना, और व्यापार को संतुलित बनाए रखना होता है। टैरिफ को प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है, जो इंपोर्टेड वस्तु की कीमत पर आधारित होता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई देश किसी वस्तु पर 10% टैरिफ लगाता है और उस वस्तु की कीमत 100 रुपये है, तो आयातक को 10 रुपये अतिरिक्त कर के रूप में चुकाने होंगे।
टैरिफ कैसे काम करता है?
मान लीजिए, अमेरिका से भारत में कोई सामान आता है, जिसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो है। यदि भारत 20% टैरिफ लगाता है, तो उसकी कीमत 120 रुपये हो जाएगी। इससे भारत में बना वहीं सामान, जो शायद 110 रुपये में उपलब्ध हों, वो ग्राहकों को सस्ता लगेगा। इस तरह, टैरिफ स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देता है, लेकिन यह आयातक देश के उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ा सकता है।
भारत और अमेरिका एक दूसरे पर कितना टैरिफ लगाते हैं?
भारत का टैरिफ: भारत अपने आयात पर लगभग 17% टैरिफ लगाता है (वर्ल्ड बैंक डेटा, 2023)। कुछ क्षेत्रों में यह बहुत ज्यादा है, जैसे गाड़ियों पर 60-100%, डेयरी प्रोडक्ट्स पर 68.8%, और फल-सब्जियों पर तो 103.4% तक। इतना ज्यादा टैरिफ का कारण है टैरिफ भारत के किसानों और उद्योगों को संरक्षण देना।
अमेरिका का टैरिफ: अमेरिका भारत से बहुत ज्यादा टैरिफ नहीं वसूलता है। भारत के मुकाबले अमेरिका का औसत टैरिफ बहुत कम है, लगभग 3.3% (2023 डेटा)। हालांकि, कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं पर यह ज्यादा हो सकता है, जैसे डेयरी पर 16.1%। अमेरिका भारतीय उत्पादों पर ज्यादातर मामलों में मिनीमम या जीरो टैरिफ लगाता है, खासकर फार्मा और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में।
ट्रंप भारत पर टैरिफ लगाने की बात क्यों कर रहे हैं?
ट्रंप का कहना है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर “अनुचित रूप से हाई टैरिफ” लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामानों पर कम टैरिफ वसूलता है। ट्रंप का “रेसिप्रोकल टैरिफ” का मतलब है कि अमेरिका भी भारत से उतना ही टैरिफ वसूलेगा जितना भारत अमेरिकी सामानों पर लगाता है। ट्रंप ने विशेष रूप से ऑटो सेक्टर का उदाहरण दिया, जैसे हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिलों पर भारत का 100% टैरिफ, जिसे वे गलत मानते हैं। उनका कहना है कि यह नीति अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करेगी और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देगी। ट्रंप की यह रणनीति उनके “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसे उन्होंने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) में भी लागू किया था।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की स्थिति:-
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और अमेरिका के बीच कुल व्यापार 119.71 बिलियन डॉलर था। जिसमें भारत का निर्यात: 77.52 बिलियन डॉलर तो वहीं अमेरिका का निर्यात: 42.2 बिलियन डॉलर का रहा।
प्रमुख भारतीय निर्यात में फार्मास्यूटिकल्स (12.7 बिलियन डॉलर), टेलीकॉम उपकरण, रत्न-आभूषण, और टेक्सटाइल शामिल हैं। अमेरिका भारत को मुख्य रूप से तेल, गैस, और रक्षा उपकरण आयात करता हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जो इसके कुल निर्यात का 17.7% हिस्सा लेता है।
भारत कितना टैरिफ वसूलता है?
जैसा कि ऊपर बताया गया, भारत का औसत टैरिफ 17% है, लेकिन यह उत्पाद के आधार पर बदलता है। कुछ उदाहरण:
ऑटोमोबाइल: 60-100%
डेयरी: 68.8%
फल और सब्जियां: 103.4%
इलेक्ट्रॉनिक्स: 15-20%
यह ऊंचा टैरिफ भारत की “मेक इन इंडिया” नीति और स्थानीय किसानों-उद्योगों को संरक्षण देने का हिस्सा है।
भारत पर प्रभाव:
एक्सपोर्ट में कमी: ज़्यादा टैरिफ से भारतीय सामान अमेरिका में महंगे होंगे, जिससे निर्यात प्रभावित होगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 15-20% टैरिफ बढ़ोतरी से निर्यात में 3-3.5% की गिरावट हो सकती है।
उद्योगों पर असर: फार्मा, यानी जेनेरिक दवाईयां टेक्सटाइल, ख़ासतौर पर खादी के कपड़े और ऑटो सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
आर्थिक दबाव: व्यापार अधिशेष कम होने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका पर प्रभाव:
उद्योगों पर असर: अमेरिकी कंपनियां जो भारत से कच्चा माल लेती हैं, उनकी लागत बढ़ेगी।
भारत के पास वैकल्पिक रास्ते
जाहिर है अमेरिका के इस फैसले से भारत के व्यापार पर खासा असर पड़ेगा। भारत इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते तलाश सकता है।
वैकल्पिक बाजार तलाशना: भारत यूरोप, मध्य पूर्व, और अन्य क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाकर अमेरिका पर निर्भरता कम कर सकता है।
भारत की कच्चे माल के बजाय तैयार उत्पादों के एक्सपोर्ट पर जोर देकर टैरिफ के प्रभाव को कम करने की कोशिश रहेगी।
रणनीतिक साझेदारी: भारत अमेरिका से रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में आयात बढ़ाकर व्यापार संतुलन कर सकता है।
अमेरिका ने किन देशों पर टैरिफ लगाया और उनकी प्रतिक्रिया
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल से ही कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं
चीन: 2018 में स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया। चीन ने अमेरिकी सोयाबीन और ऑटो पर जवाबी टैरिफ लगाए।
कनाडा और मैक्सिको: 2018 में स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ। दोनों ने अमेरिकी व्हिस्की और डेयरी पर टैरिफ लगाए, लेकिन बाद में USMCA समझौते से तनाव कम हुआ।
यूरोपीय संघ: स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ लगाया जवाब में EU ने हार्ले डेविडसन और बॉर्बन पर टैरिफ लगाए।
रूस: 2025 में रूसी तेल खरीददारों पर टैरिफ की धमकी। प्रतिक्रिया: भारत जैसे देश मध्य-पूर्व से तेल आपूर्ति की ओर बढ़ सकते हैं।बहरहाल, ये मुद्दा भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए एक बड़ी चुनौती है। जहां ट्रंप इसे अमेरिका के हितों के लिए जरूरी मानते हैं, वहीं भारत इसे अपने निर्यात और अर्थव्यवस्था पर हमला मान रहा है। भारत की वैकल्पिक रणनीतियां इस प्रभाव को कम कर सकती हैं। हालांकि, वैश्विक व्यापार में यह टैरिफ युद्ध लंबे समय तक अनिश्चितता पैदा कर सकता है, जिसका असर न केवल भारत और अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
Bht sundar