योग गुरु के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध बाबा रामदेव अपने योगासन और प्राणायाम के लिए जाने जाते हैं। इन सब के इतर वो अपनी कंपनी “पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड” को लेकर भी लोगों के बीच अक्सर चर्चा में रहते हैं।
बिते तीन अप्रैल को एक वीडियो के माध्यम से बाबा रामदेव ने पतंजलि का शरबत लाॅच किया। उन्होंने शरबत की लाॅचिंग के दौरान कुछ ऐसी बातें कह दीं जिसे सुनने के बाद सोशल मीडिया दो फाड़ हो गया। बाबा रामदेव ने कहा कि “गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए सॉफ्ट ड्रिंक के नाम पर ठंडा मतलब टॉयलेट क्लीनर पीते रहते हैं। एक तरफ टॉयलेट क्लीनर का प्रहार जहर है। दूसरी तरफ शरबत के नाम पर एक कंपनी है। जो शरबत तो देती है, लेकिन शरबत से जो पैसा मिलता है, उससे मदरसे और मस्जिदें बनवाती है। अगर आप वो शरबत पिएंगे, तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे। अगर आप पतंजलि का शरबत पिएंगे, तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्य कुलम बनेगा। पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड आगे बढ़ेगा। उन्होंने आगे कहा-इसलिए मैं कहता हूं कि ये शरबत जिहाद है। जैसे लव जिहाद और वोट जिहाद चल रहा है, वैसे ही ‘शरबत जिहाद’ भी चल रहा है।”
स्वामी रामदेव ने ये बात कहते हुए किसी अन्य ब्रांड का नाम तो नहीं लिया लेकिन लोगों को यह बात समझते देर नहीं लगी कि बाबा का टारगेट “हमदर्द” कंपनी के तहत बनने वाला “रूह अफजा” है।
बहरहाल, स्वामी रामदेव की बातों में हमें जानकारी की कमी महसूस हुई तो हमने थोड़ी गहनता से जांच पड़ताल किया। और हमने जो पाया वो आपके सामने है।
रूह अफजा कैसे बना?
“हमदर्द लेबोरेट्री” के तहत बनाए जाने वाले रूह अफजा की शुरुआत सन 1907 में दिल्ली से हुई। यूपी के पीलीभीत में जन्मे यूनानी हकीम हफीज अब्दुल मजीद का दिल्ली के लाल कुआं बाजार में एक छोटा-सा दवाखाना था। नाम था हमदर्द दवाखाना।
1907 की भीषण गर्मी और लू से बिमार हुए लोग बड़ी संख्या में हकीम साहब के पास पहुंचने लगे। हकीम मजीद ने जब इस समस्या से एक बड़ी आबादी को परेशान देखा तो उन्होंने इसके पीछे का कारण पता किया और पाया कि गर्मियों में लोग खाना तो कम खाते हीं हैं साथ ही अधिकतर लोग पानी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं पीते हैं। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने घर पर हीं फलों और जड़ी-बूटियों से युक्त एक सीरप तैयार किया और अपने मरीजों को देने लगे।
इस सीरप का स्वाद और सुगंध इतना उम्दा था कि इसकी चर्चा पूरे शहर में फैल गई और मरीजों के अलावा आम लोग भी इसे खरीदने लगे। हकीम मजीद ने सीरप की लोकप्रियता और बढ़ती मांग को देखते हुए इसे एक नाम देने की सोची। तब हकीम साहब ने इसका नाम रूह आफजा रखा। रूह मतलब शरीर और अफजा मतलब तरोताजा।
हकीम मजीद ने सोचा क्यों न इसे बाजार में उतारा जाए? उन्होंने दिल्ली के पुरानी हौज काजी में स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस से हिंदी अंग्रेजी और उर्दू में इसका लेबल तैयार करवाया। और पूरे परिवार के साथ मिलकर रूह अफजा बनाने लगे। आज ये प्रोडक्ट 100 वर्ष से भी अधिक पुराना हो चुका है लेकिन बाजार में अभी भी अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। हमदर्द कंपनी रूह अफजा के अलावा जीरा, अजवायन, अदरक-लहसुन पेस्ट फ्रूट जूस और मिल्कशेक से लेकर लस्सी, ग्लूकोज डी, नारियल पानी, शहद, तेल जैसे प्रोडक्ट बेचती है।
क्या सच में इस कंपनी के मुनाफे से मदरसों और मस्जिदों का निर्माण होता है?
सबसे पहले हमदर्द की कमाई की बात करते हैं। हकीम अब्दुल मजीद के पड़पोते और हमदर्द इंडिया के फूड प्रोसेसिंग विभाग के सीईओ हामिद अहमद की मानें तो, हमदर्द का सालाना कारोबार लगभग 600 करोड़ रुपए है। 2020 में कंपनी ने बताया था कि उसने अकेले रूह अफजा की बिक्री से 317 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की थी। हमदर्द कंपनी का बिजनेस आज 25 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है और वर्तमान में इसके 600 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं।
हमदर्द अपना मुनाफा कहां खर्च करती है?
वर्ष 1948 में हमदर्द कंपनी ने खुद को वक्फ यानी एक चैरिटेबल ट्रस्ट में बदल दिया था। तभी से कंपनी अपने मुनाफे का ज्यादातर हिस्सा मुस्लिम समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में करती है।
हमदर्द लेबोरेट्रीज के कमाई का करीब 85 फीसदी हिस्सा समाजसेवी संस्था “हमदर्द नेशनल फाउंडेशन” को जाता है।
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की स्थापना 1964 में हकीम अब्दुल मजीद ने ही की थी। उन्होंने इसकी स्थापना समाज के कमजोर वर्ग, उसमें भी खासकर मुस्लिमों में शिक्षा और स्वास्थ्य की दशा सुधारने के उद्देश्य से की थी।
आज कंपनी शिक्षा स्वास्थ्य तथा समाज कल्याण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है।
जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय: 1989 में स्थापित, यह विश्वविद्यालय फार्मेसी, मेडिसिन, नर्सिंग, इंजीनियरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करता है।
हमदर्द पब्लिक स्कूल: दिल्ली शहर में हाई क्वालिटी एजुकेशन देने वाला एक जाना माना विद्यालय।
राबिया गर्ल्स पब्लिक स्कूल: मुख्य रूप से बच्चियों की शिक्षा के लिए विद्यालय।
सैफिया पब्लिक स्कूल: जनरल और इन्क्लूसिव एजुकेशन के लिए।
हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च: NIRF 2024 में 30वाँ स्थान प्राप्त 2012 में स्थापित यह संस्थान मेडिकल शिक्षा और रिसर्च के लिए जाना जाता है।
हमदर्द कॉलेज ऑफ फार्मेसी: 1972 में स्थापित इस संस्थान को फार्मेसी शिक्षा में NIRF 2024 में पहला स्थान प्राप्त है।
रुफैदा कॉलेज ऑफ नर्सिंग: 1984 में स्थापित नर्सिंग कॉलेज।
हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड हेल्थ साइंसेज: स्वास्थ्य विज्ञान से संबंधित कोर्स करता है।
हमदर्द यूनानी मेडिकल कॉलेज: यूनानी चिकित्सा की शिक्षा और अनुसंधान में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।
हमदर्द इंजीनियरिंग कॉलेज: इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा हेतु।
हमदर्द स्टडी सर्किल: विशेष रूप से अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए 1992 में सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए स्थापित कोचिंग संस्थान।
मजीदिया अस्पताल: यूनानी और आधुनिक चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने वाला चैरिटेबल हाॅस्पिटल।
हकीम अब्दुल हमीद शताब्दी अस्पताल HAHC सेंटेनरी अस्पताल: 650 बिस्तरों वाला चैरिटेबल अस्पताल, जो मुफ़्त अथवा बहुत कम खर्च में चिकित्सा प्रदान करता है।
हमदर्द रिसर्च सेंटर: यूनानी चिकित्सा और हर्बल उत्पादों पर रिसर्च के लिए समर्पित।
हमारे रिसर्च में कहीं भी इस कंपनी द्वारा कोई मस्जिद या मदरसा निर्माण अथवा संचालन की कोई जानकारी नहीं मिली। बहरहाल, आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं, कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरुर दें। धन्यवाद!