दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड अपने क्रिकेटर्स को कितने पैसे देता है?

हाल हीं में ख़बर आई “अगले कुछ दिनों में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अर्थात BCCI कांट्रैक्ट लिस्ट जारी करने वाला है।” अब सवाल ये है कि ये कांट्रैक्ट लिस्ट होता क्या है? ये कितने प्रकार का होता है? इस लिस्ट में कौन शामिल होता है? इसमें शामिल होकर क्या मिलता है? तो चलिए एक एक कर आपकी दुविधाओं को दूर करते हैं और बताते हैं दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के कांट्रैक्ट लिस्ट के बारे में।
भारत में क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए BCCI द्वारा एक वार्षिक कांट्रैक्ट सिस्टम बनाया गया है जिसे “सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट” कहा जाता है। यह कॉन्ट्रैक्ट क्रिकेटरों को वित्तीय सुरक्षा देने, उनके प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने और नेशनल टीम के लिए उनकी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।

सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट क्या है और इसका क्या मतलब है?

सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट एक वार्षिक अनुबंध है जो BCCI और चुनिंदा पुरुष क्रिकेटरों के बीच होता है। यह अनुबंध क्रिकेटर्स को एक निश्चित वार्षिक रिटेनर फीस प्रदान करता है, जो उनकी टीम के लिए सेवाओं के बदले में दी जाती है। इसका मतलब है कि खिलाड़ी को यह राशि मिलेगी हीं मिलेगी, भले ही वह हर मैच में हिस्सा ले न ले। यह सिस्टम खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से स्थिरता प्रदान करता है और उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही, खिलाड़ी को BCCI के नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के अलावा घरेलू क्रिकेट जैसे रणजी इत्यादि में भाग लेना।

अलग-अलग कैटेगरी का क्या मतलब है?

BCCI खिलाड़ियों को उनकी योग्यता, पर्फार्मेंस और टीम में योगदान के आधार पर विभिन्न कैटेगरी या ग्रेड में बांटता है। ये ग्रेड, क्रिकेटर्स का टीम में महत्व और उनके खेल की गुणवत्ता को दर्शाते हैं। प्रत्येक ग्रेड की फीस अलग-अलग होती है।

कितनी कैटेगरी होती हैं?

बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में अभी चार कैटेगरी हैं:

A+
A
B
C

ये चारो ग्रेड पुरुष क्रिकेटर्स के लिए हैं। महिला खिलाडियों के लिए भी कॉन्ट्रैक्ट का सिस्टम है, लेकिन उनकी कैटेगरी अलग होती हैं और रकम भी पुरुषों को दिए जाने वाले रकम के मुकाबले कम होती है।

कैटेगरी के पैरामीटर क्या हैं?

कैटेगरी कई पैरामीटर पर तय की जाती है।

प्रदर्शन: खिलाड़ी का इंटरनेशनल क्रिकेट में रिकॉर्ड, जैसे रन, विकेट, और लगातार अच्छा प्रदर्शन।

खेले गए मैचों की संख्या: एक निश्चित समय में खेले गए टेस्ट, वनडे , और टी20 मैचों की संख्या।
उदाहरण के लिए:- किसी खिलाड़ी को ग्रेड C में शामिल होने के लिए कम से कम 3 टेस्ट, 8 वनडे, या 10 अंतरराष्ट्रीय टी20 खेलना जरूरी है।

फॉर्मेट में योगदान: खिलाड़ी सभी फॉर्मेट में खेलता है या केवल एक-दो फॉर्मेट में, यह भी देखा जाता है। A+ ग्रेड आमतौर पर उन खिलाड़ियों के लिए होता है जो सभी फॉर्मेट में रेगुलर और इंपैक्ट फुल हैं।

टीम के लिए महत्व: कप्तान, उप-कप्तान, या प्रमुख खिलाड़ियों को उच्च ग्रेड में रखा जाता है।

घरेलू क्रिकेट: BCCI ने यह शर्त हाल हीं में जोड़ी है कि खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से मुक्त होने पर घरेलू क्रिकेट खेलना होगा। इसका पालन न करने पर कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया जा सकता है।

खिलाड़ियों की कैटेगरी कैसे तय होती है?

खिलाड़ियों की कैटेगरी BCCI की सिलेक्शन कमिटी द्वारा तय की जाती है।
समीक्षा: हर साल अक्टूबर से सितंबर तक के क्रिकेट सीजन के बाद खिलाड़ियों के परफार्मेंस की समीक्षा की जाती है।

प्रमोशन/डिमोशन: अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ऊपरी कैटेगरी में प्रमोट किया जाता है, जबकि खराब प्रदर्शन या चोट के कारण कम खेलने वालों को लोअर कैटेगरी में डिमोट किया जा सकता है।

नए खिलाड़ी: जो खिलाड़ी मिनिमम मैच कंडिशन को पूरा करते हैं, उन्हें सीधे ग्रेड C में शामिल किया जाता है।उदाहरण के लिए, 2023-2024 में सरफराज खान और ध्रुव जुरेल को तीसरा टेस्ट खेलने के बाद ग्रेड C में जोड़ा गया।

अब बात करते हैं कि कैटेगरी के अनुसार खिलाड़ियों को कितना पैसा मिलता है?

2023-2024 सीजन के अनुसार, पुरुष क्रिकेटर्स को दी जाने वाली वार्षिक रिटेनर फीस।
A+: 7 करोड़ रुपये
A: 5 करोड़ रुपये
B: 3 करोड़ रुपये
C: 1 करोड़ रुपये

BCCI सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के अलावा भी खिलाड़ियों को कई तरह से पैसे देता है:

मैच फीस: प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए अलग से फीस दी जाती है:

टेस्ट: 15 लाख रुपये प्रति मैच
वनडे: 6 लाख रुपये प्रति मैच
टी20I: 3 लाख रुपये प्रति मैच

पेंशन: रिटायरमेंट के बाद, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खिलाड़ियों को पेंशन दी जाती है। उदाहरण के लिए, 25 से अधिक टेस्ट खेलने वालों को 60,000-70,000 रुपये मासिक और अन्य को 30,000 रुपये तक मिलते हैं।

निष्कर्ष
BCCI का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम खिलाड़ियों को वित्तीय सुरक्षा और प्रोत्साहन देने का एक प्रभावी तरीका है। चार कैटेगरी (A+, A, B, C) प्रदर्शन और योगदान के आधार पर बनाई जाती हैं, और यह सुनिश्चित करती हैं कि खिलाड़ी राष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट दोनों के प्रति जवाबदेह रहें।

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