आईपीएल का सीजन चल रहा है। यूं तो अक्सर भारत में क्रिकेट का रोमांच रहता है। लेकिन आईपीएल में माहौल बदल जाता है। गली, नुक्कड़ चौक चौराहों पर लगे टीवी स्क्रीन पर मैच का आनंद लेती लोगों की भीड़, बड़े बड़े क्रिकेट एक्सपर्ट को पीछे छोड़ते चाय की टपरी वाले विश्लेषक बस मैट्रो में फ़ोन में आंखें गड़ाए लोग या फिर रास्ता चलते “ए भईया केतना स्कोर हुआ?” पूछने वाले लोग। सब पर क्रिकेट की खुमारी चढ़ी रहती है। इन सब के इतर आजकल एक नई नस्ल आई है। टीम बनाने वाली। 49 रुपए लगाकर करोड़पति बनने की कोशिश करने वाली। खैर इनकी बात कभी और। आज़ हम बात करेंगे आईपीएल की कमाईं के गणित के बारे में। क्यों आईपीएल जीरो लाॅस इन्वेस्टमेंट प्लान है? आप करोड़पति बनो ना बनो सीजन खत्म होते होते टीमों के हाथ में कैसे करोड़ों रुपए का मुनाफा आ जाता है? कहां से पैसे आते हैं। कहां खर्च होते हैं? सबकी बात करेंगे।
IPL टीमों की कमाई कई माध्यमों से होती है। इस कमाई में कुछ हिस्सा सेंट्रल पूल का होता है। जबकि कुछ कमाई टीमों के अपने प्रयासों पर निर्भर करती है। आईए विस्तार से बताते हैं।
1. सेंट्रल रेवेन्यू पूल:-
BCCI IPL के ब्राडकास्टिंग राइट मतलब मैच किस चैनल पर दिखाया जाएगा, टाइटल स्पॉन्सरशिप, जैसे पेप्सी आईपीएल, टाटा आईपीएल, वीवो आईपीएल इत्यादि और अन्य केंद्रीय स्पाॅन्सरशिप से होने वाली कमाई को एक सेंट्रल पूल में जमा करता है। इसके बाद, इस राशि का 40-50% हिस्सा सभी 10 टीमों के बीच बराबर बांटा जाता है।
आंकड़े: वर्ष 2023-2027 के लिए BCCI ने मीडिया राइट्स को 48,390 करोड़ रुपये (6.2 बिलियन डॉलर) में बेचा, जिसमें टीवी राइट्स के लिए स्टार स्पोर्ट्स ने 23,575 करोड़ और डिजिटल राइट्स के लिए वायाकॉम18 (जियो सिनेमा) ने 23,758 करोड़ रुपये दिए। 2023 में, इस पूल से 10 टीमों को कुल 4,670 करोड़ रुपये मिले, यानी प्रति टीम औसतन 467 करोड़ रुपये। यह राशि हर टीम को एक तय मुनाफा देती है, चाहे वे जीतें या हारें। उदाहरण के लिए,2022 में यह राशि 2,205 करोड़ थी, जो 2023 में दोगुनी से भी अधिक हो गई।
2. प्रायोजन (Sponsorships)
टीमें अपने जर्सी, हेलमेट, और अन्य ब्रांडिंग के लिए अलग-अलग ब्रांड के साथ डील करती हैं। इसके अलावा, सेंट्रल स्पॉन्सरशिप (जैसे टाटा का टाइटल स्पॉन्सरशिप) का भी हिस्सा मिलता है।
आंकड़े: मुंबई इंडियंस या इस जैसी अन्य बड़ी टीमें स्पाॅन्सरशिप से हर सीजन में 150 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर लेती हैं। 2023 में टाटा ग्रुप ने IPL का टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये (5 साल के लिए) दिए, यानी सालाना 500 करोड़। टीमों को प्रायोजन से लगभग 20-30% राजस्व मिलता है।
उदाहरण: दिल्ली कैपिटल्स ने वित वर्ष 2023 में प्रायोजन से 34% रेवेन्यू कमाया, जबकि CSK ने 27%
3. टिकट बिक्री और स्टेडियम से कमाई
होम ग्राउंड के मैचों की टिकट बिक्री से होने वाली इनकम का बड़ा हिस्सा उस टीम को मिलता है। इसमें प्रीमियम सीटिंग और VIP पैकेज भी शामिल हैं।
आंकड़े: एक सामान्य स्टेडियम में 30,000 सीटें होती हैं, और टिकट की कीमत 500 से 20,000 रुपये तक होती है। हर सीजन 7 से 8 मैच होम ग्राउंड पर होते हैं उन मैचों से एक टीम लगभग 50-70 करोड़ रुपये कमा सकती है। हालांकि यह टोटल इनकम का 10-15% ही है, लेकिन लोकप्रिय टीमों जैसे बैंगलोर मुंबई के लिए यह महत्वपूर्ण सोर्स है।
4. मर्चेंडाइज बिक्री
टीमें स्टेडियम में कई तरह की वस्तुएं जर्सी, टोपी, मग, और डिजिटल कलेक्टिबल्स बेचकर कमाई करती हैं।
आंकड़े: भारत में मर्चेंडाइज का बाजार सालाना 100 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसकी कीमत लगभग 30 मिलियन डॉलर है। मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स जैसी टीमें इससे 10 से 20 करोड़ रुपये हर साल कमा लेती हैं।
5. इनामी राशि
BCCI विजेता, उपविजेता, और अन्य शीर्ष टीमों को पुरस्कार स्वरूप एक तय राशी प्रदान करता है।
आंकड़े: साल 2023 में विजेता टीम को 20 करोड़, उपविजेता को 12.5 करोड़, और तीसरे-चौथे स्थान की टीमों को 7-10 करोड़ रुपये मिले। यह टोटल इनकम का एक बहुत छोटा हिस्सा है, लेकिन जीतने वाली टीमों के लिए एक बोनस जैसा है।
IPL की सबसे रोचक बात यह है कि टीमें मैदान पर अगर सभी मैच हार जाए तो भी फायदे में रहती हैं। इसका कारण इसकी मजबूत आर्थिक संरचना है। चलिए एक उदाहरण से समझात है।
गारंटीड सेंट्रल रेवेन्यू
सेंट्रल पूल से मिलने वाली रकम प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करता। इससे खराब प्रदर्शन वाली टीमें भी बेसिक खर्च जैसे खिलाड़ियों की सैलरी, स्टाफ, सुविधाएं वगैरह आसानी से कवर कर लेती हैं।
उदाहरण: वित वर्ष 2024 में लखनऊ सुपर जायंट्स ने 59 करोड़ का मुनाफा कमाया, भले ही वे प्लेऑफ में नहीं पहुंचे, लेकिन उनकी आय 695 करोड़ तक पहुंच गई।
ब्रांड वैल्यू और स्पाॅन्सरशिप:
लोकप्रिय टीम जैसे RCB ने भले ही सालों तक ट्रॉफी न जीती हो, लेकिन उनके स्टार खिलाड़ी विराट कोहली और फैन बेस स्पाॅन्सरशिप के लिए ब्रांड को आकर्षित करते हैं।
आंकड़े: RCB के रेवेन्यू में वित वर्ष 2023 में 133.8% की बढ़ोत्तरी हुई जो प्रायोजन और मर्चेंडाइज से आई।
न्यूनतम जोखिम:
खिलाड़ियों की नीलामी में खर्च की गई राशि एक बड़ा निवेश है, लेकिन सेंट्रल पूल पूल और स्पाॅन्सरशिप से होने वाली इनकम इसे आसानी से कवर कर लेती है। हारने वाली टीमों को इनामी राशि नहीं मिलती, लेकिन उनकी बेसिक आय प्रभावित नहीं होती।
लंबी अवधि का निवेश
फ्रेंचाइजी IPL को एक लाॅग टर्म प्रोपर्टी के रूप में देखते हैं। शुरुआती घाटे के बाद भी, ब्रांड वैल्यू बढ़ने से मुनाफा होता है।
उदाहरण: MI ने वित वर्ष 2023 में 49 करोड़ का घाटा झेला, लेकिन 24 में 109 करोड़ का मुनाफा कमाया।
मुंबई इंडियंस:- 2024 में इनकम 737 करोड़ रुपये, मुनाफा 109 करोड़। यह टीम सबसे अधिक कमाई करने वाली है, जिसमें सेंट्रल पूल 450 करोड़, स्पाॅन्सरशिप 150+ करोड़, और टिकट बिक्री 50-70 करोड़ शामिल हैं।
सनराइजर्स हैदराबाद:- 2024 में इनकम 659 करोड़, पिछले वर्ष से 2.5 गुना अधिक। यह प्रदर्शन से कहीं ज्यादा ब्रांडिंग और सेंट्रल पूल पर निर्भर है।
लखनऊ सुपर जायंट्स:- 2024 में 695 करोड़ की कमाई, 59 करोड़ का मुनाफा, भले ही ट्रॉफी न जीती।
निष्कर्ष
IPL का कमाई का गणित एक जोखिम-मुक्त मॉडल पर आधारित है। सेंट्रल रेवेन्यू पूल की गारंटी, स्पाॅन्सरशिप की ताकत, और ब्रांड वैल्यू के कारण टीमें हारने के बाद भी फायदे में रहती हैं। यह लीग न केवल खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजी मालिकों के लिए, बल्कि भारत के अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सोने की खान है, इस लीग ने वर्ष 2023 में 11.2 बिलियन डॉलर का योगदान देश की अर्थव्यवस्था में दिया था। भविष्य में, टेक्नोलॉजी और ग्लोबल विस्तार इसे और बड़ा बनाएंगे।