गुजरात के अहमदाबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा है। इससे पहले कांग्रेस ने 64 वर्ष पहले सन 1961 में कांग्रेस ने गुजरात के भावनगर में अपना अधिवेशन किया था। बहरहाल, दो दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन के पहले दिन सांसद राहुल गांधी ने बहुत बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि “हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक राहुल ने यह भी कहा- हम मुस्लिमों की बात करते हैं, इसलिए हमें मुस्लिम परस्त कहा जाता है। हमें ऐसी बातों से डरना नहीं है। मुद्दे उठाते रहना है।”
खैर, अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में OBC समाज ने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ दिया है? आइए, आंकड़ों के माध्यम से एक नजर डालते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी की बातों में कितनी हकीकत है।
ऐतिहासिक नजरिया:-
आजादी के बाद नेहरू जैसे लोकप्रिय और करिश्माई नेता की वजह से कांग्रेस पार्टी के साथ देश का लगभग हरेक वर्ग रहा। और यह दौर इंदिरा के “गरीबी हटाओ” के नारे के साथ उनके शासनकाल में भी खूब फला-फूला। लेकिन 1990 में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद OBC समाज में राजनीतिक भागीदारी के प्रति एक समझ विकसित हुई और इस वर्ग को राजद, जद(यू) और समाजवादी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों ने अपनी ओर खींचा। इससे कांग्रेस का ओबीसी वोट-बैंक कमजोर हुआ।
वर्तमान स्थिति:-
2014 का लोकसभा चुनाव, इस चुनाव में भाजपा ने बड़े पैमाने पर OBC समाज को अपनी तरफ आकर्षित किया। लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट-पोल सर्वे के मुताबिक, BJP को कुल 34% OBC वोट मिला जबकि कांग्रेस को केवल 19%
2019 में भी भाजपा ने इसी राह पर चलने का फैसला किया और नतीजों ने इस फैसले को सही साबित किया। लोकनीति-सीएसडीएस के आंकड़ों की मानें तो, BJP को 44% OBC वोट मिला, जबकि 2014 में 19% पर रहने वाली कांग्रेस 15% पर सिमट गई।
राज्य विधानसभा चुनाव में स्थित:-
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022:- यूपी में OBC लगभग 40-45% है। यहाँ भाजपा ने 44.6% वोट शेयर के साथ सत्ता पाई, जिसमें गैर-यादव ओबीसी यानी कुर्मी, जाट, गुर्जर आदि का बड़ा योगदान था। यहां कांग्रेस को महज 2.33% वोट मिले। समाजवादी पार्टी को 32% ओबीसी वोट मिला जिसमें यादव सहित अन्य कुछ ओबीसी जातियां थीं। लेकिन कांग्रेस यहाँ भी हाशिए पर हीं रही।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020:- 2023 जातिगत सर्वे के अनुसार बिहार में ओबीसी और अति-पिछड़ा वर्ग EBC की आबादी 63% है। यहाँ BJP+JDU को 37.3% वोट मिले, जिसमें ओबीसी के एक बड़े हिस्से का योगदान था। कांग्रेस, जो महागठबंधन के साथ थी, उसे मात्र 9.5% वोट मिले, जो ज्यादातर दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं से आए।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023:- राजस्थान में OBC मतदाताओं की तादाद लगभग 55% हैं। BJP ने 41.7% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की, जिसमें जाट और गुर्जर जैसे OBC वर्ग का समर्थन शामिल था। कांग्रेस ने यहां अच्छा खासा वोट मिला लगभग 39.5%, लेकिन यहाँ भी ओबीसी वोट का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी की ओर शिफ्ट हुआ।
2024 लोकसभा आम चुनाव:- 2024 के आम चुनाव में बेशक कांग्रेस ने कुछ हद तक वापसी की कोशिश की। लोकनीति-सीएसडीएस के आंकड़े के अनुसार, कांग्रेस को इस चुनाव में 21% OBC वोट मिला, जो 2019 से कुछ हद तक बेहतर था, लेकिन BJP अभी भी 40% के साथ आगे रही। कांग्रेस ने “जितनी आबादी, उतना हक” जैसे नारे और जातिगत जनगणना की मांग के जरिए ओबीसी को लुभाने की कोशिश की, लेकिन यह बहुत ज्यादा असरदार नहीं रहा। बीजेपी ने OBC के बीच अपनी पकड़ बनाए रखी, खासकर EBC जातियों को साधकर।
अब सवाल ये है कि कांग्रेस से OBC वोट-बैंक छिटका क्यों?
BJP की रणनीति:-
BJP ने OBC को हिंदुत्व के छाते तले एकजुट किया। “सबका साथ, सबका विकास” के साथ-साथ OBC नेताओं को प्रमुख पद देना इसकी सफलता का कारण रहा। सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाकर बीजेपी ने “क्लास” को “कास्ट” से ऊपर रखा।
कांग्रेस की कमजोरी:
कांग्रेस ने OBC को साधने में देरी की। 2020 में जातिगत जनगणना की मांग को कांग्रेस ने जोर-शोर से उठाया लेकिन तब तक बीजेपी पहले ही ओबीसी वोटरों में पैठ बना चुकी थी। संगठनात्मक कमजोरी और क्षेत्रीय दलों से गठबंधन में असफलता ने कांग्रेस को ओबीसी नेतृत्व से दूर कर दिया।
क्षेत्रीय दलों का प्रभाव:
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद और जेजद(यू), और महाराष्ट्र में एनसीपी ने ओबीसी के विभिन्न उप-समूहों जैसे यादव, कुर्मी, मराठा को अपने साथ जोड़ा, जिससे कांग्रेस का आधार और कमजोर हुआ।
क्या ओबीसी वोट-बैंक पूरी तरह छिटक गया?
अब सवाल ये है कि क्या ओबीसी वोट-बैंक कांग्रेस से पूरी तरह दूर हो गया?
नहीं, कुछ राज्यों में OBC वोट पर कांग्रेस की अभी भी गहरी पकड़ है।
केरल: यहाँ 20% ओबीसी वर्ग में से एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस के साथ है। 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने यहाँ 19 में से 14 सीटें जीतीं।
कर्नाटक: कांग्रेस को 2023 विधानसभा चुनाव में 43% वोट मिला जिसके बदौलत पार्टी सत्ता में आने में कामयाब हुई।
बहरहाल, इन सब के बीच एक नजर डालते हैं देश में हाल हीं में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर और जानने की कोशिश करते हैं कि इन चुनावों में कितना प्रतिशत OBC वोट किस पार्टी के पाले में गया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024
ओबीसी आबादी लगभग 33-35%
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन 45%
कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना (UBT)- 25%
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024
ओबीसी आबादी- 46%
झामुमो-कांग्रेस गठबंधन- 35%
बीजेपी- 38%
नए आंकड़ों से ये बात साफ़ होती है कि कांग्रेस से ओबीसी वर्ग का बड़े स्तर पर मोहभंग हुआ है। खासकर हिंदी भाषी राज्यों में, जहाँ बीजेपी और क्षेत्रीय दल हावी हैं। 2024 में कांग्रेस का OBC वोट शेयर 21% रहा, जो 2019 से बेहतर है, लेकिन यह दक्षिण के राज्यों और कुछ राज्यों के गठबंधन पर निर्भर रहा।
बहरहाल, आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? कमेंट में हमें अपनी राय जरुर बताएं। धन्यवाद।
One thought on “OBC का कांग्रेस से मोहभंग!”